सोशल मीडिया: बुलाती है… मगर जाने का नहीं

ख्वाबों-ख्वाबों की खूबसूरत दुनिया मगर हकीकत से परे, सच्चाई से दूर। संचार क्रांति का एक ऐसा मायावी संसार जिससे बचकर निकलना नामुमकिन तो नहीं लेकिन मुश्किल जरूर । सोशल मीडिया यानी कि सामाजिक माध्यम इस सदी की एक नायब खोज। एक ऐसी घटना है जो एक ऐसे संसार की रचना करती है, जो वर्चुअल या आभासी है। एक ऐसी दुनिया जिसमें हक़ीक़त का भरम है। वास्तविकता कुछ नहीं, हर दूसरा चेहरा फेक, झूठा, बनावटी अपने मकसद हासिल करने की फ़िराक़ में और फिर मक़सद हल हो जाने के बाद अलविदा कर लेना। इसके बाद इस मायावी संसार में दूसरे स्वार्थों के लिए नए ग्रुप बनाना, नए लोगों से जुड़ना। इन सबका साधन बनते हैं फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, वाट्सएप, जूम जैसे और ‘भी सोशल मीडिया वेबसाइट और एप्लिकेशन्स सोशल मीडिया | इंटरनेट के माध्यम से एक ऐसे वर्चुअल वर्ल्ड की रचना करता है जो वाकई में एक छलावा है। इसमें हर इंसान अपने आपको जिस्मानी बेहद खूबसूरत, जवान, खूबसूरत ख्यालों वाला, आला दर्जे के किरदार तमीज़- तहज़ीब, संस्कारवाल दिखाने की कोशिश करता रहत है। इस मीडिया के फायदे कम और नुकसान ज्यादा है। अफसोस की बात है बड़े बड़े पढ़े-लिखे अकलमंद लोग आजकल साइबर फ्राड कर रहे हैं। या साइबर फ्राड के शिकार हो रहे हैं। ज्यादातर महिलाओं को शिकार बनाया जा रहा है। लोगों को सोशल मीडिया की लत लग चुकी है। इंसान इस वशीकरण मंत्र के आधीन होकर अजीब अजीब हरकत करने लगा है। अपनी दुनिया फेसबुक, इंस्टाग्राम ट्विटर वाट्सएप और ज़ूम प्लेटफार्म को बना लिया है। घरवालों से दूर है। किसी की सलाह अच्छी नहीं लगती। लत लगने के बाद बच्चों का अपनी पढ़ाई में, खेल में, स्किल डेवलपमेंट में समय न लगा कर इस आभासी और खयाली दुनिया में मस्त रहना बड़ा नुकसानदायक साबित हुआ है। बच्चे समय से पहले वयस्क हुए हैं, हिंसक और अमर्यादित भी हुए हैं, उनकी डिमांड बढ़ी है। असली रिश्ते में कड़वाहट घुली है। निजता भंग होने का खतरा पहले है। गोपनीय जानकारिया अब गोपनीय नहीं रहीं। बच्चों को शारीरिक बिमारियों ने घेर लिया है। सोशल मिडिया क्या वाकई सोशल है, शक होता है। हर विभाग और मंत्रालय की एक वेवसाइट है। उससे बिल्कुल ताज़ा जानकारी होना, बच्चों को दूसरी भाषाओं का ज्ञान होना जटिल सवालों का जवाब खोज निकलना भी इसी सोशल मीडिया की देन है। मां-बाप का फर्ज है कि वह अपने बच्चों को अपनी निगरानी में सोशल मीडिया का इस्तमाल करने दें। हर भला बुरा समझाएं।
आसिम रूमी, प्रिंसिपल हैरिटेज इंटरनेशनल स्कूल

सोशल मीडिया के फायदे
हर एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। कुछ फायदे भी हैं। सोशल मीडिया संचार का एक सशक्त माध्यम है। दूरिया कम हुई हैं। जानकारियां साझा की जा रही हैं। नए लोगों से जुड़ना हुआ है। बिज़नेस बढ़ा है । बिज़नेस के नए-नए तरीके आए हैं। रोजगार के अवसर बढ़े हैं। आज एक गरीब किसान का बेटा भी सोशल मीडिया पर उपलब्ध बेहतरीन एजुकेशनल साइट्स से पद और सीख सकता है। सोशल मीडिया ने ज़िंदगी के हर पहलू पर असर डाला है। सामाजिक, शैक्षिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति में परिवर्तन आया है। सोशल मीडिया ने सीखने-सिखाने की और पढ़ने-पढ़ाने की परिभाषा ही बदल दी है। आज बेहतरीन से बेहतरीन आला दर्जे का टीचर बच्चों को सोशल मीडिया पर उपलब्ध है।